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Covid Update: अगर नेचुरल एंटीबॉडी बनी है तो ओमीक्रोन से रहेंगे ज्यादा सेफ!

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नई दिल्ली: कोरोना की पहेली कायम है और फिर नए वेरिएंट ने दुनिया को चौंका दिया है। इस बार यह बदलाव स्पाइक प्रोटीन पर ही हुआ है, जिसकी वजह से वैक्सीन से बनी सुरक्षा को भी यह वेरिएंट बाईपास कर रहा है। लेकिन, एक्सपर्ट्स यह भी कह रहे हैं कि ऐसे में जिनमें नेचुरल एंटीबॉडी बनी है, यानी कोविड संक्रमण के बाद एंटीबॉडी बनी है, वे ज्यादा सुरक्षित हो सकते हैं। दूसरी ओर, यह भी बातें हो रही हैं कि जो वैक्सीन स्पाइक प्रोटीन से बनी हैं, वह शायद इस वेरिएंट पर उतना कारगर नहीं हो। हालांकि, इस पर अभी और साक्ष्य की जरूरत है। आने वाले दिनों में इन अनसुलझे सवालों के जवाब मिलने की उम्मीद है।

कोविड एक्सपर्ट और सफदरजंग अस्पताल के कम्युनिटी मेडिसिन के एचओडी डॉ. जुगल किशोर ने बताया कि वैक्सीन और वायरस के कंपोनेंट को जानना जरूरी है। क्योंकि वायरस में कई तरह के कंपोनेंट होते हैं। जिसमें प्रमुख तौर पर वायरस में मेंब्रेन, आरएनए, स्पाइक प्रोटीन होते हैं। ऐसे में जिन्हें नेचुरल इन्फेक्शन हुआ होगा, उनमें जो एंटीबॉडी बनी होगी वह पूरे वायरस के सभी कंपोनेंट के खिलाफ बनी होगी। इसलिए उन्हें ज्यादा सुरक्षा मिलेगी।

 

दूसरी ओर, जब वैक्सीन बनाई जाती है तो वह वायरस के किसी एक खास हिस्से यानी कंपोनेंट को लेकर उसके खिलाफ बनाई जाती है। ऐसे में जिन्हें वैक्सीन से एंटीबॉडी बनी है, उनमें सिर्फ उसी कंपोनेंट के खिलाफ एंटीबॉडी होगी, बाकी कंपोनेंट के खिलाफ नहीं होगी। उन्हें ज्यादा खतरा होगा। डॉक्टर जुगल ने कहा कि जब डेल्टा वेरिएंट फैला था तो इसमें भी वैक्सीन वालों को संक्रमण हुआ था, लेकिन जिन्हें पहले फेज में संक्रमण हुआ, यानी अल्फा वेरिएंट से संक्रमण हुआ, उनमें डेल्टा के दौरान भी संक्रमण नहीं पाया गया। यानी नेचुरल वालों को संक्रमण से ज्यादा बचाव मिला।

उन्होंने कहा कि इसके दूसरे पहलू यानी वैक्सीन पर बात करें, तो देश में दो तरह की वैक्सीन हैं। एक कोविशील्ड और दूसरा कोवैक्सीन। कोविशील्ड वैक्सीन को एडिनो वायरस के स्पाइक प्रोटीन डालकर बनाया गया है। यानी इसमें सिर्फ वायरस के स्पाइक प्रोटीन के खिलाफ ही एंटीबॉडी बनी है, बाकी के खिलाफ नहीं बनी है। डॉक्टर ने कहा कि ओमिक्रॉन में डेल्टा की तरह स्पाइक प्रोटीन में ही बदलाव हुआ है। अगर यह बदलाव प्रभावी रहा तो यह हो सकता है कि इस वैक्सीन का असर नए वेरिएंट के खिलाफ उतना नहीं हो।

लेकिन, कोवैक्सीन को कोरोना के डेड वायरस से बनाया गया है। इसमें वायरस के सभी कंपोनेंट के खिलाफ एंटीबॉडी बनी होगी। डॉक्टर जुगल ने कहा कि मेरी राय है कि यह वैक्सीन ज्यादा कारगर हो सकती है। उन्होंने कहा कि जब डेल्टा फैला था तो जिन्होंने वैक्सीन ली थी, उन्हें भी संक्रमण हुआ था।

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