कश्मीरी पंडितों के साथ हुए नरसंहार की कहानी को जब 32 साल बाद विवेक अग्निहोत्री ने फिल्म के रूप सबके सामने लाने की कोशिश की तब इस पर खूब बवाल मचा। कभी फिल्म को बैन करने की मांग उठी तो कभी कश्मीरी पंडितों की इस कहानी को ही काल्पनिक बता दिया गया। फिल्म को रिलीज हुए नौ महीने हो चुके हैं, लेकिन अब भी इसपर विवाद जारी है। दरअसल, हाल ही में गोवा में आयोजित हुए 53वें इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल ऑफ इंडिया (आईएफएफआई) में जूरी के हेड ने ‘द कश्मीर फाइल्स’ पर सवाल उठा दिए। जूरी हेड और इस्राइल के फिल्मकार नादव लापिड ने कहा कि ये भद्दी और प्रोपेगेंडा पर आधारित फिल्म है, इसका नाम इतने प्रतिष्ठित फिल्म समारोह के प्रतियोगिता खंड में देखकर मैं हैरान हूं। फिल्मकार के इस बयान पर अब विवाद शुरू हो गया है। मिडवेस्ट इंडिया के इस्राइल के काउंसिल जनरल कोब्बी शोशानी ने सोशल मीडिया पर ट्वीट करते हुए कहा कि जूरी हेड और इस्राइल के फिल्मकार नादव लापिड की तुलना में उनकी राय अलग है। उन्होंने ट्वीट किया, “मैंने कश्मीर फाइल्स देखी है और कलाकारों से मुलाकात की है। मेरी राय नादव लापिड से अलग है। उनके भाषण के बाद मैंने नादव को अपनी राय बताई।” इसके साथ ही उन्होंने विवेक अग्निहोत्री को भी टैग किया। अनुपम खेर, नादव लापिड का बयान सुनने के बाद से दुखी हैं। उन्होंने न्यूज एजेंसी एएनआई से बातचीत करते वक्त कहा, ‘हम जूरी हेड और इस्राइल के फिल्मकार नादव लापिड को सही तरीके से जवाब देंगे। यहूदी नरसंहार (holocaust) सही है तो कश्मीरी पंडितों का पलायन (exodus) भी सही है। यह टूलकिट गैंग के एक्टिव होने के तुरंत बाद हुआ, लगता है प्री-प्लैंड था। उनके लिए इस तरह का बयान देना शर्मनाक है। एक यहूदी समुदाय से आने वाले, जिसने प्रलय का सामना किया, उसने ऐसा बयान देकर उन लोगों को भी पीड़ा दी है, जिन्होंने कई साल पहले इस त्रासदी को झेला था। ईश्वर उसे सद्बुद्धि दे ताकि वह हजारों-लाखों लोगों की त्रासदी का इस्तेमाल अपने एजेंडे को पूरा करने के लिए न करे।’
IFFI जूरी हेड की टिप्पणी पर भड़के अनुपम खेर, इस्राइली राजनयिक बोले- लापिड को शर्म आनी चाहिए
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