विदेश मंत्री एस जयशंकर द्विपक्षीय संबंधों के विभिन्न पहलुओं, विशेषकर व्यापार, ऊर्जा, रक्षा और कनेक्टिविटी के क्षेत्रों पर चर्चा करने के उद्देश्य से उनकी अगले सप्ताह रूस जाने की उम्मीद है। मॉस्को में जयशंकर का अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ व्यापक विचार-विमर्श करने का कार्यक्रम है। उम्मीद है कि रूसी पक्ष विदेश मंत्री को यूक्रेन संघर्ष और उससे संबंधित मुद्दों के बारे में जानकारी देगा। उनकी यात्रा 25 दिसंबर के आसपास शुरू हो सकती है। इस पर अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। जयशंकर की यात्रा ऐसे समय हो रही है जब यह स्पष्ट हो गया है कि वार्षिक भारत-रूस नेताओं का शिखर सम्मेलन इस साल भी नहीं होगा। भारत के प्रधानमंत्री और रूसी राष्ट्रपति के बीच शिखर सम्मेलन दोनों पक्षों के बीच रणनीतिक साझेदारी में सर्वोच्च संस्थागत संवाद तंत्र है। अब तक भारत और रूस में बारी-बारी से 21 वार्षिक शिखर सम्मेलन हो चुके हैं। पिछला शिखर सम्मेलन दिसंबर, 2021 में नई दिल्ली में हुआ था। जयशंकर की यात्रा के दौरान, दोनों पक्षों द्वारा राष्ट्रीय मुद्राओं में द्विपक्षीय व्यापार करने के लंबे समय से लंबित प्रस्ताव पर भी चर्चा होने की उम्मीद है।
भारत का रूस के साथ है 60 साल का रिश्ता
जयशंकर ने 4 दिसंबर को एक कार्यक्रम में अपने संबोधन में कहा कि भारत का रूस के साथ 60 साल का करीबी रिश्ता है और यह व्याख्या करना सही नहीं है कि संबंध रखने से नई दिल्ली को कोई बाधा है। एक प्रौद्योगिकी सम्मेलन में उनकी टिप्पणी यूक्रेन में युद्ध के बावजूद मजबूत भारत-रूस संबंधों को लेकर पश्चिमी शक्तियों के बीच बढ़ती बेचैनी की पृष्ठभूमि में आई थी। यूक्रेन पर मास्को के आक्रमण के बावजूद भारत और रूस के बीच संबंध मजबूत बने रहे। कई पश्चिमी देशों में इसे लेकर बढ़ती बेचैनी के बावजूद भारत का रूसी कच्चे तेल का आयात काफी बढ़ गया है। भारत ने अभी तक यूक्रेन पर रूसी आक्रमण की निंदा नहीं की है और वह कहता रहा है कि संकट को कूटनीति और बातचीत के माध्यम से हल किया जाना चाहिए।