
नई दिल्ली
कोविड-19 के ओमीक्रोन वेरिएंट का खतरा बढ़ता जा रहा है। देश के 15 राज्यों तक पहुंच चुका ओमीक्रोन वैक्सीन इम्युनिटी को भी धता बता देता है। अब तक की रिसर्च बताती है कि कोविड संक्रमण से रिकवरी के बाद होने वाली इम्युनिटी भी ओमीक्रोन से बचा नहीं पाती। ऐसे में पर्याप्त इम्युनिटी के लिए, दुनिया के कई देशों में वैक्सीन की बूस्टर डोज लगाई जा रही हैं। भारत में विशेषज्ञों ने भी इसकी जरूरत बताई है।
राजनेता केंद्र सरकार से पूछ रहे हैं कि बूस्टर डोज कब से लगेगी? मगर सरकार का कहना है कि उसका जोर पहले योग्य वयस्क आबादी को दोनों डोज लगाने पर है। दिग्गज एक्सपर्ट्स कह रहे हैं कि बूस्टर पर सरकार को तत्काल फैसला करने की जरूरत है, अन्यथा परेशानी बड़ी हो सकती है।
नेताओं ने की बूस्टर्स की डिमांड
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने बुधवार को बूस्टर डोज के संबंध में केंद्र सरकार से सवाल किया। उन्होंने टीकाकरण के आंकड़ों का एक चार्ट साझा करते हुए ट्वीट किया, ‘बहुतायत आबादी का अब तक टीकाकरण नहीं हुआ है। सरकार बूस्टर खुराक देना कब शुरू करेगी?’ राहुल ने जो चार्ट साझा किया, उसमें कहा गया है कि टीकाकरण की वर्तमान रफ्तार से 31 दिसंबर, 2021 तक देश की 42 प्रतिशत आबादी का ही टीकाकरण हो सकेगा। वहीं, दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल ने भी सोमवार को केंद्र सरकार से ‘निवेदन’ किया था कि ‘जिन्होंने दोनो डोज ले ली हैं, उनके लिए बूस्टर डोज की अनुमति दी जाए।’
कोविशील्ड से इम्युनिटी बनाए रखने के लिए बूस्टर जरूरी : स्टडी
द लैंसेट ने ताजा रिसर्च में कहा है कि एस्ट्रोजेनेका कोविड वैक्सीन (कोविशील्ड) से मिली सुरक्षा दूसरी डोज के तीन महीने के बाद घटने लगती है। रिसर्चर्स ने करोड़ों लोगों के डेटा को एनालाइज करने के बाद यह तथ्य सामने रखा है। यह रिसर्च ओमीक्रोन वेरिएंट के खिलाफ नहीं हुई क्योंकि उस वक्त वह वेरिएंट था ही नहीं। रिसर्चर्स ने कहा कि जिन लोगों को एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन लगी है, उन्हें बूस्टर डोज देने पर विचार होना चाहिए।
केंद्र सरकार का रुख क्या रहा है?
सरकार ने अब तक यही कहा है कि वैज्ञानिक समुदाय इस संबंध में सभी पहलुओं पर विचार कर रहा है। फिलहाल अधिकतम आबादी का प्राथमिक टीकाकरण करना सबसे महत्वपूर्ण लक्ष्य है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वीके पॉल ने कहा है, ‘टीका संसाधनों को लेकर इस समय की स्थिति कुल मिलाकर अच्छी है। वैज्ञानिक समुदाय लगातार इन पहलुओं पर विचार कर रहा है। जब कोई संसाधन की कमी नहीं है तो महामारी विज्ञान और वैज्ञानिक परामर्श के आधार पर यह (टीके की बूस्टर खुराक के बारे में) तय होगा।’