कोलकाता में जन्मी इतिहासकार-लेखिका और पत्रकार श्राबणी बसु ने विदेश तक में भारत का नाम रोशन किया है। उनको लंदन विश्वविद्यालय ने साहित्य के क्षेत्र और ब्रिटिश भारतीय इतिहास के अध्ययन में शानदार योगदान के लिए डॉक्टरेट की मानद उपाधि से सम्मानित किया है। श्राबणी बसु ने बेस्टसेलिंग जीवनी संबंधी किताबों ‘स्पाई प्रिंसेस: द लाइफ ऑफ नूर इनायत खान’ और ‘विक्टोरिया एंड अब्दुल: द ट्रू स्टोरी ऑफ द क्वीन्स क्लोजेस्ट कॉन्फिडेंट’ को लिखा है। मंगलवार, 30 अप्रैल को किंग चार्ल्स III की बहन ऐनी, प्रिंसेस रॉयल ने विश्वविद्यालय के चांसलर के रूप में बसु को डिग्री प्रदान की। डिग्री स्वीकार करने के गौरवपूर्ण क्षण के दौरान डॉ. बसु ने कहा, ‘2009 में, लंदन विश्वविद्यालय ने हमें गॉर्डन स्क्वायर में द्वितीय विश्व युद्ध की नायिका, नूर इनायत खान के लिए एक स्मारक बनाने की अनुमति दी थी। विश्वविद्यालय ने नूर इनायत खान के महत्व को पहचाना, जो उस समय बमुश्किल ही ज्ञात थे। 2012 में वो एक यादगार दिन था जब रॉयल हाइनेस, प्रिंसेस रॉयल ने प्रतिमा का अनावरण किया था। आज, इस ही स्मारक को दुनिया भर से लोग देखने आते हैं और नूर की कहानी को सभी जानते हैं।’ फॉर किंग एंड अदर कंट्री: इंडियन सोल्जर्स ऑन द वेस्टर्न फ्रंट, 1914-18′ की लेखिका श्राबणी बसु ने आगे कहा कि एक लेखक के रूप में, प्रथम और द्वितीय विश्व युद्ध में भारतीयों की कहानियां बताना, मेरे लिए सौभाग्य की बात रही है। ब्रिटेन में दक्षिण एशिया के कई प्रवासी युद्ध में सेवा दे चुके हैं, जिनके बारे में अधिकांश लोग कुछ नहीं जानते या बहुत कम जानते हैं। मेरा इस बारे में बात करना, उन्हें एक अलग एनर्जी या जुड़ाव देता है। डॉ. बसु और भारत के लिए यह गर्व की बात है कि विश्वविद्यालय के प्रशस्ति पत्र में, प्रो-वाइस चांसलर प्रोफेसर मैरी स्टियास्नी ने बसु को भारत और ब्रिटिश साम्राज्य पर एक “विचारशील नेता” के रूप में वर्णित किया।
कोलकाता में जन्मी श्राबणी बसु ने किया देश का नाम रोशन, लंदन विश्वविद्यालय ने किया सम्मानित
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