तेलंगाना में एक जासूसी का चौंकाने वाला मामला सामने आया है। मीडिया रिपोर्ट की माने तो फोन टैपिंग मामले में हाल ही में गिरफ्तार हुए पुलिस अधिकारियों में से एक राधाकृष्ण राव ने इस मामले को लेकर कई बड़े खुलासे किए। उनका दावा है कि 2018 और 2023 के विधानसभा चुनावों में आधिकारिक वाहनों में नकदी ले जाई गई थी। हालांकि, अब कयास लगाए जा रहे हैं कि लोकसभा चुनाव के दौरान राज्य में यह बड़ा मुद्दा बन सकता है। पुलिस के द्वारा दायर की गई रिमांड रिपोर्ट के अनुसार गिरफ्तार पुलिस अधिकारी राधाकृष्ण का कहना है कि प्रणीत राव, भुजंग राव, तिरुपतन्ना और वेणुगोपाल राव ने राज्य के तत्कालीन खुफिया ब्यूरो प्रमुख टी प्रभाकर राव के साथ मिलकर साजिश रची थी। उनका मकसद यह सुनिश्चित करना था कि तेलंगाना की सत्ता में बीआरएस बनी रहे। गिरफ्तार अधिकारी ने दुब्बक और मुनुगोडे उपचुनाव का भी हवाला दिया।
3.5 करोड़ रुपये किए गए थे बरामद
राव ने बताया कि पिछले चुनाव से पहले कोमाटिरेड्डी राज गोपाल रेड्डी से जुड़े लोगों से 3.5 करोड़ रुपये बरामद किए गए थे। रेड्डी ने 2022 का उपचुनाव भाजपा के टिकट पर लड़ा था। वह बीआरएस के कुसुकुंतला प्रभाकर रेड्डी से हार गए थे। बाद में साल 2023 के चुनाव के लिए कांग्रेस में शामिल हो गए और जीत दर्ज की। वहीं, साल 2020 में दुब्बक उपचुनाव में भाजपा के रघुनंदन राव ने बीआरएस के सोलिपेटा रेड्डी को हराया था। राधाकृष्ण राव के मुताबिक, इंटरसेप्ट कॉल के आधार पर भाजपा नेता से जुड़ी चिटफंड कंपनी चलाने वाले एक व्यक्ति से एक करोड़ रुपये की जब्ती की गई थी। साल 2023 में वह बीआरएस के कोठे प्रभाकर रेड्डी से सीट हार गए थे। राधाकृष्ण ने बताया, ‘इस पूरे मामले में शामिल अधिकारियों ने बीआरएस (जिसे पहले तेलंगाना राष्ट्र समिति कहा जाता था) के सत्ता में बने रहने की बात कही थी।’ राधाकृष्ण राव शहर के पुलिस उपायुक्त थे। अगस्त 2020 में सेवानिवृत्त होने पर वह तीन-तीन साल के लिए दो एक्सटेंशन पाने में कामयाब रहे। हालांकि उन्हें संदीप शांडिल्य की शिकायत और सिफारिश पर चुनाव से पहले स्थानांतरित कर दिया गया था। शांडिल्स को विधानसभा चुनाव से पहले आदर्श आचार संहिता लागू होने पर हैदराबाद का पुलिस आयुक्त नियुक्त किया गया था। हाल ही में राधाकृष्ण को हैदराबाद के बंजारा हिल्स के एक पुलिस स्टेशन में पूछताछ के बाद गिरफ्तार कर लिया गया था। उन्हें भी लुक-आउट नोटिस का सामना करना पड़ा था। मुख्य आरोपी के रूप में टी प्रभाकर राव का नाम सामने आया है। उन्हें लुकआउट नोटिस का सामना करना पड़ रहा है। वह फिलहाल अमेरिका में हैं। राधाकृष्ण राव पहले पूर्व मुख्यमंत्री के चन्द्रशेखर राव के मुख्य सुरक्षा अधिकारी भी थे। राव ने कथित तौर पर जांच अधिकारियों को बताया कि उन्होंने प्रभाकर राव के निर्देशों पर काम किया।
अधिकारियों द्वारा प्रस्तुत रिमांड रिपोर्ट में राधाकृष्ण राव ने बरामदगी के उदाहरण दिए और दावा किया कि उन्होंने केसीआर की भारत राष्ट्र समिति के एक सदस्य के आदेश पर विपक्षी नेताओं की जासूसी की थी, जो 2014 में राज्य के गठन के बाद से तेलंगाना की राजनीति पर हावी रहा। हालांकि पिछले साल के विधानसभा चुनाव में बीआरएस को कांग्रेस से हार मिली थी। तेलंगाना फोन टैपिंग मामले में सिर्फ राजनीतिक खुफिया जानकारी के लिए इलेक्ट्रॉनिक डेटा इकट्ठा करना शामिल नहीं है, बल्कि नेताओं और यहां तक कि निजी कंपनियों और टॉलीवुड हस्तियों को ब्लैकमेल करने के लिए भी इसका इस्तेमाल किया गया। वहीं, कांग्रेस नेता एन उत्तम कुमार रेड्डी ने बताया कि यह सब पिछली भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) सरकार के नेतृत्व की जानकारी में हुआ था। रेड्डी ने कहा, ‘यह केवल समय की बात है कि वे (बीआरएस) नेता जांच के दायरे में आएंगे।’ फोन टैप करने के मामले में तेलंगाना के कई अन्य पुलिस अधिकारियों की जांच की जा रही है। जिन व्यक्तियों के उपकरणों की कथित तौर पर निगरानी की गई थी, उनमें मुख्यमंत्री रेवंत रेड्डी और भाजपा-कांग्रेस के सदस्यों के साथ केसीआर की पार्टी के लोग भी शामिल हैं। इस बीच,तेलंगाना के सिरसिल्ला के एक कांग्रेस नेता केके महेंद्र रेड्डी ने हैदराबाद के शीर्ष पुलिस अधिकारी से शिकायत की है।उन्होंने संदेह जताया कि उनका और उनके परिवार के सदस्यों तथा सहयोगियों का फोन टैप किया गया है।
चुनावों में सरकारी वाहनों में ले जाई गई थी नकदी, फोन टैपिंग मामले में गिरफ्तार अधिकारी का दावा
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