मुंबई
कस्तूरबा अस्पताल में अब तीन बार जीनोम सिक्वेंसिंग की गई। पहले दो जीनोम सिक्वेंसिंग में एक भी डेल्टा प्लस के मामले नहीं मिले, लेकिन डेल्टा वैरियंट के मामले जरूर मिले। इस बार 117 सैंपल में डेल्टा डेरिवेटिव वैरिएंट पाया गया। बीएमसी की कार्यकारी स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. मंगला गोमारे ने बताया कि कोरोना के डेल्टा प्लस के वैरिएंट में कई रूप देखने को मिले हैं। इसलिए डेल्टा प्लस को डेल्टा डेरिवेटिव नाम दिया गया है। जिन 117 सैंपल में यह वैरिएंट मिले हैं, वह काफी सौम्य थे। इसके फैलने की गति भी कम है।
डॉ. गोमारे के मुताबिक डेल्टा वैरिएंट की तुलना में डेल्टा डेरिवेटिव वैरिएंट की तीव्रता काफी कम है। इसलिए इससे चिंतित होने की जरूरत नहीं है, लेकिन एहतियात जरूरी है। इससे बचने के लिए मास्क, सेनिटाइजेशन और भीड़ न करने और सोशल डिस्टेंसिंग के प्रोटोकॉल का पालन करना बेहद जरूरी है। शेष बचे 41 सैंपल में कोविड के अन्य वेरिएंट मिले हैं।
121 लोगों ने नहीं ली थी वैक्सीन
अतिरिक्त मनपा आयुक्त सुरेश काकानी ने बताया कि इस जीनोम सिक्वेंसिंग में एक विशेष बात जरूर सामने आई है। जीनोम सिक्वेंसिंग में 121 लोग ऐसे थे, जिन्होंने कोरोना वैक्सीन की एक भी खुराक नहीं ली थी। इसमें से 57 लोगों को अस्पताल में भर्ती करने की जरूरत पड़ी, जिसमें से एक को ऑक्सिजन और एक को आईसीयू की जरूरत पड़ी, जबकि तीन लोगों की मौत हो गई। मरने वाले तीनों बुजुर्ग और को-मॉर्बिड थे, जिसमें से दो डेल्टा डेरिवेटिव से और एक डेल्टा वायरस से संक्रमित थे।
ऑक्सिजन की जरूरत नहीं पड़ी
जीनोम सिक्वेंसिंग के सैंपल में वैक्सीन की पहली खुराक लिए 54 लोग भी शामिल थे, जिन्हें कोरोना तो हुआ, लेकिन इसमें से सिर्फ 7 को ही अस्पताल में भर्ती करना पड़ा था। अच्छी बात यह है कि इनमें से किसी को भी ऑक्सिजन और आईसीयू की जरूरत नहीं पड़ी। इसे देखते हुए बीएमसी के अतिरिक्त आयुक्त सुरेश काकानी ने मुंबईकरों से अपील की है कि वे कोरोना का टीका लगाने में जरा भी हिचकिचाहट न करें।
जीनोम सिक्वेंसिंग में शामिल वर्ग
आयु वर्ग संख्या
21 से 40 – 126
41 से 60 – 98
61 से 80 – 63