महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने बुधवार को दावा किया कि केंद्र सरकार पर राज्य का 26,500 करोड़ रुपये बकाया है। ठाकरे ने यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान के बाद कही कि पिछले साल नवंबर में केंद्र की ओर से एक्साइज ड्यूटी कम करने के बाद भी कुछ राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर वैट नहीं कम किया है। ठाकरे ने केंद्र पर महाराष्ट्र के साथ सौतेला व्यवहार करने का आरोप भी लगाया।देश में कोरोना वायरस महामारी की स्थिति को लेकर मुख्यमंत्रियों के साथ एक वर्चुअल वार्ता के दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कुछ राज्यों ने पेट्रोल और डीजल पर अभी भी वैट नहीं घटाया है। जबकि, केंद्र सरकार ने पिछले साल नवंबर में ही एक्साइज ड्यूटी कम कर दी थी। प्रधानमंत्री मोदी ने यह भी कहा कि इन राज्यों ने इस फैसले से होने वाले लाभों को जनता तक न पहुंचाकर उसके साथ अन्याय किया है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि केंद्र सरकार ने राज्यों से अनुरोध किया है कि वह कर घटाएं और इसका फायदा नागरिकों तक पहुंचाएं। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, केरल, झारखंड और तमिलनाडु जैसे कई राज्यों ने कुछ कारणों से केंद्र सरकार की बात नहीं सुनी है। इस वर्चुअल बैठक के बाद ठाकरे के कार्यालय ने ईंधन पर लगे कर में केंद्र व राज्य की भागीदारी पर एक बयान जारी किया।
राज्यों की वजह से नहीं बढ़ रहे दाम
बयान में मुख्यमंत्री ठाकरे ने कहा कि केंद्र सरकार पर महाराष्ट्र का 26,500 करोड़ रुपये बकाया हैं। राष्ट्रीय स्तर पर प्रत्यक्ष कर संग्रह में महाराष्ट्र का योगदान 38.3 फीसदी है और जीएसटी संग्रह में इसकी हिस्सेदारी 15 फीसदी है। लेकिन, फिर भी केंद्र सरकार हमारे साथ सौतेला व्यवहार करती है। बयान में यह भी कहा गया कि राज्यों की वजह से पेट्रोल और डीजल की कीमतों में इतना इजाफा नहीं हो रहा है।
‘प्राकृतिक गैस पर कर कम किया’
वहीं, झारखंड के स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता ने कहा कि प्रधानमंत्री की आज की बैठक स्वास्थ्य पर थी लेकिन उन्होंने इस मुद्दे पर कम और पेट्रोल-डीजल पर ज्यादा बात की। इससे बैठक राजनीतिक हो गई। मुझे लगता है कि यह बैठक पेट्रोल-डीजल के दामों में हो रही वृद्धि पर सफाई देने के लिए थी। पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस की दिशा-दशा पूरी तरह से केंद्र निर्धारित करता है। पीएम एक दिशा-दशा निर्धारित कर दें और पेट्रोल-डीजल और रसोई गैस को भी जीएसटी के दायरे में ले आएं, तब तो समझा जाएगा वह सही कह रहे हैं।
डीएमके सांसद टीकेएस एलंगोवन ने कहा कि पीएम मोदी विशेष रूप से ईंधन पर कर कम करने के लिए केवल विपक्ष शासित राज्यों का हवाला दे रहे हैं। वह यह नहीं कहेंगे कि गुजरात या कर्नाटक को कर कम करना चाहिए। भारत सरकार की ओर से एकत्रित कर की मात्रा इन राज्यों द्वारा एकत्र किए गए कर की मात्रा का तीन गुना है। केंद्र सरकार बात कुछ करती है, लेकिन करती कुछ और है। उन्हें पैसे की जरूरत है, वे पांच ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था की बात करते हैं, लेकिन संकट में एक गरीब परिवार की तरह पीएसयू बेच रहे हैं।
वहीं, इस बैठक के बाद कर्नाटक के मुख्यमंत्री बसवराज बोम्मई ने कहा कि नवंबर (पिछले साल) में जब केंद्र ने शुल्क कम किया, तो कुछ राज्यों ने सहकारी संघवाद के अनुरूप उत्पाद शुल्क का पालन किया और उत्पाद शुल्क कम किया। हम आर्थिक स्थिति की समीक्षा के बाद ईंधन की कीमतों पर वैट कम करने पर भी फैसला करेंगे।