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हार्दिक पांड्या के चोटिल होने से भारत की बड़ी परेशानी हुई दूर

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भारतीय टीम शानदार फॉर्म में है। उसने अभी तक अपने छह के छह मुकाबले जीते हैं। टीम अंक तालिका में भी शीर्ष पर है। भारतीय टीम को अपने पहले मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ और फिर न्यूजीलैंड के खिलाफ ही मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ भी बल्लेबाजी में थोड़ी बहुत चुनौती मिली। वरना बाकी के मुकाबले भारत ने काफी आसानी से जीते हैं। भारत ने अपने पहले मैच में चेन्नई की स्पिन ट्रैक पर अश्विन को मौका दिया था। उसके बाद बांग्लादेश के खिलाफ हर मैच तक टीम इंडिया एक एक्स्ट्रा पेसर शार्दुल ठाकुर के साथ उतरी। इस प्लेइंग कॉम्बिनेशन में पांच बल्लेबाज, दो ऑलराउंडर, तीन तेज गेंदबाज और एक स्पिनर खेल रहे थे। हार्दिक पांड्या पेस बॉलिंग ऑलराउंडर और रवींद्र जडेजा स्पिन ऑलराउंडर के तौर पर टीम में थे। हालांकि, बांग्लादेश के खिलाफ मैच में हार्दिक के टखने में चोट लगी और टीम इंडिया को बड़ा झटका लगा। इस कॉम्बिनेशन के साथ भी भारत जीत रहा था, लेकिन शार्दुल की गेंदबाजी कुछ खास नहीं रही थी। हालांकि, कप्तान रोहित ने उन पर भरोसा जताते हुए कहा था कि शार्दुल बड़े मैच का प्लेयर है। हार्दिक को चोट लगने पर लगा था कि भारत को आगे मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही टीम सिलेक्शन को लेकर एक बार फिर परेशानी खड़ी हो जाएगी। इतना ही नहीं भारत के पास छठे गेंदबाज की समस्या भी खड़ी हो जाएगी। भारत को पांच ही गेंदबाजों के साथ उतरना होगा। हालांकि, हार्दिक का चोटिल होना भारत  के लिए आपदा में अवसर साबित हुआ। बांग्लादेश के बाद भारत का अगला मैच न्यूजीलैंड से था। बांग्लादेश के खिलाफ मैच तक भारतीय बल्लेबाज मैच जिता रहे थे। विराट कोहली चेज मास्टर साबित हुए थे। हालांकि, न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच से भारत के लिए सबकुछ बदल गया। बल्लेबाज की जगह अब गेंदबाज मैच विनर साबित हो रहे हैं। न्यूजीलैंड के खिलाफ मैच में रोहित ने हार्दिक की जगह सूर्यकुमार यादव के रूप में एक अतिरिक्त बल्लेबाज और शार्दुल की जगह मोहम्मद शमी के रूप में एक अतिरिक्त गेंदबाज को मौका दिया। रोहित का यह फैसला मास्टरस्ट्रोक साबित हुआ। बड़े स्कोर की तरफ बढ़ रही न्यूजीलैंड की टीम को शमी ने पांच विकेट लेकर झकझोर कर रख दिया। इसके बाद इंग्लैंड के खिलाफ भारत की बल्लेबाजी कुछ खास नहीं रही थी और टीम सिर्फ 229 रन ही बना सकी थी। शमी ने इस मैच में बुमराह के साथ मिलकर इंग्लैंड की पारी को तहस नहस कर दिया। दोनों ने मिलकर सात शिकार किए। इसमें शमी ने चार और बुमराह ने चार विकेट लिए। जहां कुछ मैच पहले तक सिराज और बुमराह भारत के पेस अटैक को लीड कर रहे थे, अब शमी और बुमराह भारत के पेस अटैक की जान बन गए हैं। इन दोनों ने अब तक गेंदबाजी में एक अतिरिक्त गेंदबाज की कमी नहीं खलने दी है। रही सही कसर भारत की स्पिन जोड़ी रवींद्र जडेजा और कुलदीप यादव पूरी कर दे रहे हैं। इस तरह हार्दिक के चोटिल होने से भारतीय टीम के चयन की समस्या दूर हो गई। टीम को सही प्लेइंग कॉम्बिनेशन मिला है। हालांकि, हार्दिक पूरी तरह बाहर नहीं हुए हैं और मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक टीम मैनेजमेंट उन्हें नॉकआउट में खेलता देखना चाहता है। हालांकि, अभी जो टीम खेल रही है वह कम्प्लीट दिख रही है।

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इंग्लैंड के खिलाफ सूर्यकुमार के बहुमूल्य 49 रन से भारत 229 रन तक पहुंच सका था। हार्दिक अगर वापस भी लौटते हैं तो कुछ खास नहीं कर सके श्रेयस अय्यर या सूर्या में से किसी एक को बाहर कर हार्दिक को मौका दिया जा सकता है। इससे छठे गेंदबाज की समस्या भी दूर होगी और शमी के रूप में घातक गेंदबाज भी टीम के पास होगा। हार्दिक गेंद के साथ साथ बल्ले से भी बहुमूल्य योगदान दे सकते हैं और कई मौकों पर उन्होंने ऐसा किया भी है। हार्दिक की चोट ने आपदा में अवसर का काम किया है और शमी के लिए यह एक ऐसा मौका लेकर आया, जिसे उन्होंने दोनों हाथों से स्वीकार किया। 2003 विश्व कप में जब टीम इंडिया फाइनल में पहुंची थी तो उससे पहले तक तीन खिलाड़ियों को एक भी मैच खेलने का मौका नहीं मिला था। वे खिलाड़ी थे- अजीत अगरकर, पार्थिव पटेल और संजय बांगर। वहीं, दिग्गज अनिल कुंबले को भी सिर्फ तीन मैचों में मौका मिला था। वह हॉलैंड, ऑस्ट्रेलिया और पाकिस्तान के खिलाफ लीग स्टेज का मुकाबला खेले थे। कप्तान सौरव गांगुली ने दिनेश मोंगिया को बतौर ऑलराउंडर हर मैच में मौका दिया था। फाइनल में भी मोंगिया को कुंबले पर तरजीह दी गई थी और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मुकाबला खेले थे। रिकी पोंटिंग और डेमियन मार्टिन ने मोंगिया पर खूब रन बटोरे थे। मोंगिया ने सात ओवर में 39 रन खर्च किए थे और कोई विकेट नहीं लिया था। भारत ने उस मैच में कुंबले को बहुत बुरी तरह से मिस किया था। उस मैच का हिस्सा भारत के मौजूदा कोच राहुल द्रविड़ भी थे। भारतीय टीम अब ऐसी गलती नहीं करना चाहेगी। हार्दिक अगर वापस आते हैं तो शार्दुल को लाने की बजाय रोहित और द्रविड़ शमी को ही मौका देने पर विचार कर सकते हैं।

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