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मोदी की गारंटी वैश्विक, सीमाओं में नहीं उलझती, बताया कैसे विदेश नीति को प्रभावित करता है वोट बैंक

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मोदी की गारंटी वैश्विक है। इस पर सीमाओं का जोर नहीं। यह कहना है विदेश मंत्री एस जयशंकर का। उन्होंने कहा कि मोदी की गारंटी देश की सीमाओं पर नहीं रुकती है। हैदराबाद में आयोजित ‘फॉरेन पॉलिसी द इंडिया वे: फ्रॉम डिफिडेंस टू कॉन्फिडेंस’ विषय पर आयोजित सत्र को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि हमने मोदी की गारंटी कोविड में देखा है। हमने इसे यूक्रेन के संघर्ष के दौरान देखा है। हमने इसे सूडान में देखा है। हाल ही में इस्राइल के दौरान भी हमने मोदी की गारंटी का असर देखा है। जयशंकर ने कहा कि हमें एक ऐसी दुनिया के लिए तैयार रहना होगा, जहां चीजें गलत हो सकती है। हमारे पास बहुत कम समय में प्रतिक्रिया देने की निरंतर क्षमता होनी चाहिए। सरकार बनाने के लिए और सरकार बदलने के लिए बहुत काम करना पड़ता है। लोग अपने-अपने विभागों में काम कर रहे हैं। विदेश मंत्रालय विदेश का देख रहा है। रक्षा मंत्रालय रक्षा का काम देख रहा है। सेना सुरक्षा व्यवस्था संभाल रही है। गृह मंत्रालय अपना काम कर रहा है। सूडान में लड़ाई हुई और 24 घंटे के भीतर हमारी नौसेना और वायुसेना उनके साथ थी।  उन्होंने कहा कि सीमाओं पर विभिन्न चुनौतियां हैं। बावजूद इसके हमें अपनी सीमाओं को अधिक मजबूत करना होगा। हमें इसके लिए बहुत अधिक होमवर्क की आवश्यकता है। हमें सेना के समर्थन की आवश्यकता है। हमें सेना का समर्थन करने की आवश्यकता है कि सीमा पर खतरा होने पर प्रतिक्रिया दे सके।

वोट बैंक का विदेश नीति पर प्रभाव

विदेश मंत्री ने बताया कि भारत का 1992 तक इस्राइल में कोई दूतावास नहीं था। नरेंद्र मोदी इस्राइल का दौरा करने वाले भारत के पहले प्रधानमंत्री हैं। उन्होंने बताया कि वोट बैंक ने पिछले वर्षों में भारत की विदेश नीति को प्रभावित किया है। इस्राइल जैसा देश, जो 1948 में आजाद हुआ लेकिन 1992 तक वहां कोई दूतावास नहीं था। नरेंद्र मोदी से पहले भारत का कोई भी प्रधानमंत्री इस्राइल दौरे पर नहीं गया। क्या यह वोट बैंक नहीं है।